शेर

आरिफ़ा शहज़ाद के चुनिंदा शेर

Published by
Arifa Shahzad

तुझे आग़ाज़ ही से पढ़ लिया था
तिरे चेहरे पे सब लिखा हुआ था


नश्तर जैसा अंदर इक चुभता काँटा है
जाने उस ने दुख बाँटा या दिल बाँटा है


ख़्वाब में जागती बे-ख़्वाबी पता पूछती है
क्या कहें नींद भी होती है सुलाने वाली


आरिफ़ा शहज़ाद के चुनिंदा शेर

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Arifa Shahzad