Categories: ग़ज़ल

साँस लेते हुए भी डरता हूँ

Published by
Akbar Allahabadi

साँस लेते हुए भी डरता हूँ
ये न समझें कि आह करता हूँ

बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हबाब
मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ

इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है
साँस लेता हूँ, बात करता हूँ

शेख़ साहब ख़ुदा से डरते हों
मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ

आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज
शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ

ये बड़ा ऐब मुझ में है ‘अकबर’
दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ

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Akbar Allahabadi