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आम का पेड़ – आलोक धन्वा की कविता

बीसों साल पुराना
यह पेड़ आम का
शाम के रंग का

ज़मीन तक झुक कर
ऊपर उठी हैं इसकी कई डालियाँ
कुछ तने को ऊपर उठाती
साथ-साथ गई हैं खुले में

रात में इसके नीचे
सूखी घास जैसी गरमाहट
नीड़, पक्षियों की साँस
उनके डैनों और बीट की गंध
काली मिट्टी जैसी छाया।

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By: Alok Dhanwa

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