कविता

अँधेरे से उजाले की ओर

Published by
Anuradha Ananya

मुँह अँधेरे उठकर
घर के काम निपटा कर
विद्यालय जाती बच्चियाँ

विद्यालय जिसके दरवाज़े पर लिखा है
‘अँधेरे से उजाले की ओर’

घर से पिट कर आई शिक्षिका
सूजे हुए हाथ से लिख रही है बोर्ड पर
मौलिक अधिकार

आठवीं कक्षा की गर्भवती लड़की
प्रश्नोत्तर रट रही हैं विज्ञान के ‘प्रजनन’ पाठ से

मंच से महिला पंच ने
घूँघट में ही भाषण दिया
महिला उत्थान का
तालियाँ बजी बहुत ज़ोर से
सहमती और उल्लास के साथ
भाषण पर नहीं, सूचना पर
जो चिपक कर आई थी भाषण के साथ ही
सूचना जो ‘करवाचौथ’ के अवसर पर आधे दिन छुट्टी की थी

लौट रही हैं बच्चियाँ, गर्भवती लड़की, पिटकर आई अध्यापिका और घूँघट में महिला पंच
अपने-अपने घर वापस
विद्यालय से, जिसके दरवाज़े पर लिखा है
अँधेरे से उजाले की ओर

लौट रही हैं सब एक साथ
अपना-अपना उजाला लिये…

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Anuradha Ananya