Categories: कविता

तुम वहाँ भी होगी

Published by
Chandrakant Devtale

अगर मुझे औरतों के बारे में
कुछ पूछना हो तो मैं तुम्हें ही चुनूंगा
तहकीकात के लिए

यदि मुझे औरतों के बारे में
कुछ कहना हो तो मैं तुम्हें ही पाऊँगा अपने भीतर
जिसे कहता रहूँगा बाहर शब्दों में
जो अपर्याप्त साबित होंगे हमेशा

यदि मुझे किसी औरत का कत्ल करने की
सजा दी जाएगी तो तुम ही होगी यह सजा देने वाली
और मैं खुद की गरदन काट कर रख दूँगा तुम्हारे सामने

और यह भी मुमकिन है
कि मुझे खन्दक या खाई में कूदने को कहा जाए
मरने के लिए
तब तुम ही होंगी जिसमें कूद कर
निकल जाऊँगा सुरक्षित दूसरी दुनिया में

और तुम वहाँ भी होंगी विहँसते हुए
मुझे क्षमा करने के लिए

तुम वहाँ भी होगी

Published by
Chandrakant Devtale