Categories: ग़ज़ल

तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं

Published by
Fahmi Badayuni

तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं
कैसे मिलता कहीं पे था ही नहीं

घर के मलबे से घर बना ही नहीं
ज़लज़ले का असर गया ही नहीं

मुझ पे हो कर गुज़र गई दुनिया
मैं तिरी राह से हटा ही नहीं

कल से मसरूफ़-ए-ख़ैरियत मैं हूँ
शेर ताज़ा कोई हुआ ही नहीं

रात भी हम ने ही सदारत की
बज़्म में और कोई था ही नहीं

यार तुम को कहाँ कहाँ ढूँडा
जाओ तुम से मैं बोलता ही नहीं

याद है जो उसी को याद करो
हिज्र की दूसरी दवा ही नहीं

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Fahmi Badayuni