काली मिट्टी काले घर दिनभर बैठे-ठाले घर
काली नदिया काला धन सूख रहे हैं सारे बन
काला सूरज काले हाथ झुके हुए हैं सारे माथ
काली बहसें काला न्याय खाली मेज पी रही चाय
काले अक्षर काली रात कौन करे अब किससे बात
काली जनता काला क्रोध काला-काला है युगबोध