कविता

स्वप्न से किसने जगाया?

Published by
Mahadevi Verma

स्वप्न से किसने जगाया?
मैं सुरभि हूं।
छोड कोमल फूल का घर,
ढूंढती हूं निर्झर।
पूछती हूं नभ धरा से-
क्या नहीं ऋतुराज आया?

मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत,
मैं अग-जग का प्यारा वसंत।

मेरी पगध्वनी सुन जग जागा,
कण-कण ने छवि मधुरस मांगा।

नव जीवन का संगीत बहा,
पुलकों से भर आया दिगंत।

मेरी स्वप्नों की निधि अनंत,
मैं ऋतुओं में न्यारा वसंत।

785
Published by
Mahadevi Verma