मैं खुजूरों भरे सहराओं में देखा गया हूँ तख़्त के बअ’द तिरे पाँव में देखा गया हूँ
लम्हा भर को मिरे सर पर कोई बादल आया कहने वालों ने कहा छाँव में देखा गया हूँ
फिर मुझे ख़ुद भी ख़बर हो न सकी मैं हूँ कहाँ आख़िरी बार तिरे गाँव में देखा गया हूँ