बाल कविता

सैर सपाटा – आरसी प्रसाद सिंह की कविता

Published by
Arsi Prasad Singh

कलकत्ते से दमदम आए
बाबू जी के हमदम आए
हम वर्षा में झमझम आए
बर्फी, पेड़े, चमचम लाए।

खाते-पीते पहुँचे पटना
पूछो मत पटना की घटना
पथ पर गुब्बारे का फटना
ताँगे से बेलाग उलटना।

पटना से हम पहुँचे राँची
राँची में मन मीरा नाची
सबने अपनी किस्मत जाँची
देश-देश की पोथी बाँची।

राँची से आए हम टाटा
सौ-सौ मन का लो काटा
मिला नहीं जब चावल आटा
भूल गए हम सैर सपाटा!

Published by
Arsi Prasad Singh