नज़्म

चाँद का बच्चा – अफ़सर मेरठी की नज़्म

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Afsar Merathi

वो देखो वो निकला चाँद
अम्माँ तुम ने देखा चाँद
ये भी क्या बच्चा है अम्माँ
छोटा सा मुन्ना सा चाँद
इतना दुबला इतना पतला
कब होता है ऐसा चाँद
अमाँ उस दिन जो निकला था
वो था गोल बड़ा सा चाँद
बादल से हँस हँस कर उस दिन
कैसा खेल रहा था चाँद
छुप जाता था निकल आता था
करता था ये तमाशा चाँद
अपने बच्चे को भेजा है
घर में बैठा होगा चाँद
ये भी इक दिन बन जाएगा
अच्छा गोल बड़ा सा चाँद
अच्छा अमाँ कल क्यों तुम ने
मुझ को कहा था मेरा चाँद

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Afsar Merathi