Categories: कविता

बहुत कठिन है डगर पनघट की

Published by
Amir Khusro

बहुत कठिन है डगर पनघट की
बहुत कठिन है डगर पनघट की
कैसे मैं भर लाऊं मधवा से मटकी
पनिया भरन को मैं जो गई थी
दौड़ झपट मोरी मटकी पटकी
खुसरो निजाम के बल बल जइये
लाज रखो मोरे घूंघट पट की..

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Amir Khusro