कविता

आत्ममिलन – अमृता प्रीतम की कविता

Published by
Amrita Pritam

मेरी सेज हाज़िर है
पर जूते और कमीज़ की तरह
तू अपना बदन भी उतार दे
उधर मूढ़े पर रख दे
कोई खास बात नहीं
बस अपने अपने देश का रिवाज़ है……

आत्ममिलन

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Amrita Pritam