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मरने की फुर्सत – अनामिका की कविता

Published by
Anamika

ईसा मसीह
औरत नहीं थे
वरना मासिक धर्म
ग्यारह बरस की उमर से
उनको ठिठकाए ही रखता
देवालय के बाहर!

वेथलेहम और यरूजलम के बीच
कठिन सफर में उनके
हो जाते कई तो बलात्कार
और उनके दुधमुँहे बच्चे
चालीस दिन और चालीस रातें
जब काटते सड़क पर,
भूख से बिलबिलाकर मरते
एक-एक कर
ईसा को फुर्सत नहीं मिलती
सूली पर चढ़ जाने की भी।

मरने की फुर्सत भी
कहाँ मिली सीता को
लव-कुश के
तीरों के
लक्ष्य भेद तक?

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Anamika