कहानी

उदास रंग – अंजना टंडन की कहानी

Published by
Anjana Tandon

बचपन से ही उस पर जैसे मेरा जुनून था, कभी-कभी मज़ाक़ में कहती थी मैं कि अगर मैं ब्याह कर दूजे गाँव चली गई तो… हँस पड़ता, कहता ये गमकती धूप तो बस मेरी है!

उस दिन गाँव में अबीरगुलाल बरस रहा था, बहुत उदास था, बहुत!

सारे ठिकानों पर मुझे तलाशता हुआ मेरे पीछे बगीची तक आया, मैं शरारत से फट झूले पर चढ़ गई, इसी बीच पायल गिर पड़ी, धीरे से उसे उठा कर देखता रहा, फिर पत्थर पर रख के हाथ के टेसु उस पर रख बोला- “अगले माह ब्याह है हमरा…”

सुनाई देना बंद हो गया, तड़क कर झूले की रपट टूट गई!

कुछ दिन बाद सुना उसने कुछ खा लिया… कितना झूठ!

जो हमरे बग़ैर बेर तक कभी ना खा सका, वो कैसे…

एक पायल ने फिर सदा के लिए बजने से इंकार कर दिया!

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Anjana Tandon