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विस्मृत यादें – अंजना टंडन की कविता

Published by
Anjana Tandon

हम उस दौर में है
जब सिकुड़ने लगती है याददाश्त
और
असंख्य शाप पीछा करते हैं

कितना आसाँ होता है
पलट कर विस्मृति का एलबम खोल
बिना जोखिम के
कहीं पर भी कंपकपाती उँगली धर
धीमे शब्दों में बोलना

हर नई भूलभुलैया में भी
जीवन के बीहड़ में
बहुत कुछ छूट जाने का पछतावा
हमेशा
ठीक से याद रहता है…

Published by
Anjana Tandon