Categories: कविता

अगर तस्वीर बदल जाए

Published by
Anuradha Ananya

सुनो, अगर मैं बन जाऊँ
तुम्हारी तरह प्रेम लुटाने की मशीन
मैं करने लगूँ तुमसे तुम्हारे ही जैसा प्यार
तुम्हारी तरह का स्पर्श जो आते-जाते मेरे गालों पे धड़ाधड़
चिपक जाता है
मेरी बालों को खीच लेना
और फिर कहना- ‘आह जुल्फ है या ज़ंजीर’

मेरी आह-ऊ की आवाज़ में पैदा होने वाला नशा
कितना अनोखा है न ये सब
जिसे तुम बताते हो दोस्तों की टोलियों में

सोचो कैसा हो तुम्हारे झाड़-झंगाड़ बालों के
रेशमी अहसास में मेरी उँगलियाँ उलझ जाए
तुम्हारी तीर कमान वाली मूछों से मैं भी खेलूँ
जैसे खेलते हो तुम जुल्फों से
तरह-तरह के प्रयोग करूँ
जो मुझे बना दे अनाड़ी से खिलाड़ी

तुम करो मुझे लुभाने के लिए सारे जतन
यहाँ तक कि तुम्हारे सख़्त गालों को भी नर्म बनाने के
जिस पर मेरा प्यार, मेरा स्पर्श उभर आये सीधे-सीधे

कभी-कभी धोल-धप्पट्टा करूँ
मज़े-मज़े में तुम्हारे बदन पर
और तुम ले लो इसे उपहार स्वरूप
रोकर, रूठकर तुम भाव खाओ
खाना न खाओ
और मुझे भी दो एक
मौक़ा प्यार जताने का

तुम अपने दोस्तों की टोली में बताओ मेरे प्यार
को इतना महान
कि नुस्खा मिल जाए उनको भी प्यार पाने का

इस तरह रूमानियत बढ़ती जाए प्यार की
तुम देखो सिगरेट से जली हुई अपनी जाँघ को
छाती पर उभरी हुई नाख़ून की नोक-झोंक को
और मैं पूछूँ एक ज़ोरदार धौल जमाकर
क्यूँ कैसी रही?
तुम करों सिर्फ़ ऊह-आह
मैं कहूँ
वाह मज़ा आ गया

ये बदली हुई तस्वीर भी कुछ बेहतर नहीं है ना?
चलो एक नई तस्वीर बना लेते हैं
मिलकर!

Published by
Anuradha Ananya