कविता

जो बर्फानी हवा झेलते

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Balswaroop Raahi

जो तूफानी लहरों में से अपनी राह बनाते,
जो बर्फानी हवा झेलते अविरल बढ़ते जाते।

जो आँधी-बरसात, अँधेरा देख और तनते है,
उन में से ही कोलम्बस या तेनजिंग बनते है।

डुबकी लगा उफनते जल में जो धँसने जाते है,
वे ही आखिरकार समन्दर से मोती लाते हैं।

भारी से भारी संकट से बिना झिझक जो लड़ते,
वे ही नई राह गढ़ते है वे ही आगे बढ़ते।

जो सुहावने मौसम को आशा करते रह जाते,
उन के सपने आँसू बन कर आँखों में बह जाते।

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Balswaroop Raahi