कविता

सीटी देकर पास बुलावै

Published by
Bhartendu Harishchandra

सीटी देकर पास बुलावै ।
रुपया ले तो निकट बिठावै ।
ले भागै मोहिं खेलहिं खेल ।
क्यों सखि सज्जन नहिं सखि रेल ।

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Bhartendu Harishchandra