Categories: ग़ज़ल

क्या हुस्न है यूसुफ़ भी ख़रीदार है तेरा

Published by
Chandar Bhan Kaifi Dehelvi

क्या हुस्न है यूसुफ़ भी ख़रीदार है तेरा
कहते हैं जिसे मिस्र वो बाज़ार है तेरा

तक़दीर उसी की है नसीबा है इसी का
जिस आँख से कुछ वा’दा-ए-दीदार है तेरा

ता-ज़ीस्त न टूटे वो मिरा अहद-ए-वफ़ा है
ता-हश्र न पूरा हो वो इक़रार है तेरा

बर्छी की तरह दिल में खटकती हैं अदाएँ
अंदाज़ जो क़ातिल दम-ए-रफ़्तार है तेरा

क्या तू ने खिलाए चमन बज़्म में ‘कैफ़ी’
क्या रंग-ए-गुल अफ़शाई-ए-गुफ़्तार है तेरा

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Chandar Bhan Kaifi Dehelvi