loader image

दौर-ए-निगाह-ए-साक़ी-ए-मस्ताना एक है

दौर-ए-निगाह-ए-साक़ी-ए-मस्ताना एक है
पैमाने दो हैं गर्दिश-ए-पैमाना एक है

पीता हूँ घूँट घूँट में साँसों के साथ साथ
साक़ी का और उम्र का पैमाना एक है

जिस अश्क में हो अश्क-ए-नदामत वही है अश्क
मोती बहुत हैं गौहर-ए-यक-दाना एक है

कसरत की शान और है वहदत का रंग और
आबाद है जो एक तो वीराना एक है

तफ़रीक़ हुस्न-ए-शमा-ओ-गुल में ज़रा नहीं
सोज़-ओ-गुदाज़-ए-बुल्बुल-ओ-परवाना एक है

जब सुन लिया फ़िराक़ का क़िस्सा तो कह दिया
मजनूँ का और आप का अफ़्साना एक है

तुम को अगर है अपनी दिल-आराइयों पे नाज़
‘कैफ़ी’ भी अपने नाम का मस्ताना एक है

2

Add Comment

By: Chandar Bhan Kaifi Dehelvi

© 2023 पोथी | सर्वाधिकार सुरक्षित

Do not copy, Please support by sharing!