कविता

बाहर खड़खड़ भड़भड़ शोर

Published by
Doodhnath Singh

बाहर खड़खड़
भड़भड़ शोर
भीतर झलफल
भोर अँजोर
बाँधी डोर
बटोर
काल की
ओर-छोर
सौंपा
बचा-खुचा जीवन
फिर तुमको ।

फूटा स्रोत
सभी दिशाएँ
विस्मित घोर
अछोर ।

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Doodhnath Singh