कविता

एक आँख वाला इतिहास

Published by
Doodhnath Singh

मैंने कठैती हड्डियों वाला एक हाथ देखा–
रंग में काला और धुन में कठोर ।

मैंने उस हाथ की आत्मा देखी–
साँवली और कोमल
और कथा-कहानियों से भरपूर !

मैंने पत्थरों में खिंचा
सन्नाटा देखा ।
जिसे संस्कृति कहते हैं ।

मैंने एक आँख वाला
इतिहास देखा
जिसे फ़िलहाल सत्य कहते हैं ।

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Doodhnath Singh