तेज़ी से एक दर्द मन में जागा मैंने पी लिया, छोटी सी एक ख़ुशी अधरों में आई मैंने उसको फैला दिया, मुझको सन्तोष हुआ और लगा –- हर छोटे को बड़ा करना धर्म है ।