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पकने के वक़्त में बहुत कुछ बदल जाता है

Published by
Ekta Nahar

सब कुछ सलीक़े से करने वाली उस लड़की ने
तय कर रखी थी अपने जाने की तारीख़ भी

शादी के इक रोज़ पहले तक मैं बस तुम्हारी ही हूँ

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वे बड़े जानकार हैं
कलाई पकड़कर ही दिल की धड़कन बता देते हैं
मैं बेअक़्ल तुम्हारे होने, न होने से तय कर पाता था
अपने दिल की अवस्था

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हम दोनों एक दूसरे से इतने अलग थे
कि तुम्हें कच्चे बेर पसंद थे, मुझे पके

बात बस इतनी नहीं थी
दरअसल पकने के वक़्त में बहुत कुछ बदल जाता है

***

जो मानचित्र में दर्ज नहीं होतीं
पहाड़ी लड़कियाँ जानती हैं
पहाड़ के पीछे बहती उन नदियों का पता

ऐसी लड़कियों को चूम लेना
प्रेम के नये भूगोल को खोजना है

***

मैं साफ़ नहीं बता सकता कि
मैं सबसे ज़्यादा उदास किस दिन था

मगर मुझे ठीक-ठीक याद है
तुम्हारे जाने की तारीख़

***

कई बार हम अपने ऊपर नहीं लेना चाहते
जो हैं वैसे हो जाने का इल्ज़ाम

इसलिए हम ख़ुद को देते हैं
प्रेम का ताक़तवर एनेस्थिसिया
और फिर बहाना करके पड़े रहते हैं
खुली आँखों से देखते हुए अपने साथ होती सर्जरी

***

प्रेम तक पहुँचने वाले सारे रास्तों पर
साफ़-साफ़ चेतावनी थी कि आगे ख़तरा है
लेकिन मैं एक बेहद ख़राब ड्राइवर था

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वेलेंटाइन डे की इस शाम मुझसे नाराज़ बैठीं तुम
मुझे गिना रही थीं कि
मेरे साथ क्यों नहीं रहा जा सकता

सचमुच क्या कुछ नहीं हो सकता इस दुनिया में

पिछले साल इसी दिन तुमने मुझे दिया था
‘101 रीजन्स टू लिव विद यू’ वाला कार्ड।

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Ekta Nahar