शेर

गोपालदास नीरज के चुनिंदा शेर

Published by
Gopaldas Neeraj

अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए
जिस में इंसान को इंसान बनाया जाए


अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई


गोपालदास नीरज के शेर


988
Published by
Gopaldas Neeraj