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हम बच्चे हैं तो क्या?

Published by
Gopaldas Neeraj

हम बच्चे हैं तो क्या?
हम हिंदोस्तान बदलकर छोड़ेंगे!
इंसान है क्या, हम
दुनिया का भगवान बदलकर छोड़ेंगे!

मुश्किलें हमारी दासी हैं,
आँधी-तूफान खिलौने हैं,
भूचाल हमारे बिगुल,
बर्फ से ढके पहाड़ बिछौने हैं!
हम नई क्रांति के दूत,
पुराने गान बदलकर छोड़ेंगे!

हम देख रहे हैं भूख
उग रही है गलियों-बाजारों में,
है कैद आदमी की किस्मत
चाँदी की कुछ दीवारों में!
खुद मिट जाएँगे,
या यह सब सामान बदलकर छोड़ेंगे!

हम उन्हें चाँद देंगे
जिनके घर नहीं सितारे जाते हैं,
हम उन्हें हँसी देंगे
जिनके घर फूल नहीं हँस पाते हैं!
गर यह न हुआ तो
सचमुच तीर-कमान बदलकर छोड़ेंगे!

Published by
Gopaldas Neeraj