ढाई मन से कम नहीं, तौल सके तो तौल किसी-किसी के भाग्य में, लिखी ठौस फ़ुटबौल लिखी ठौस फ़ुटबौल, न करती घर का धंधा आठ बज गये किंतु पलंग पर पड़ा पुलंदा कहँ ‘काका’ कविराय, खाय वह ठूँसमठूँसा यदि ऊपर गिर पड़े, बना दे पति का भूसा
मोटी पत्नी