कविता

लिपट गयी जो धूल

Published by
Kedarnath Agarwal

लिपट गयी जो धूल पांव से
वह गोरी है इसी गांव की
जिसे उठाया नहीं किसी ने
इस कुठांव से।
ऐसे जैसे किरण
ओस के मोती छू ले
तुम मुझको
चुंबन से छू लो
मैं रसमय हो जाऊँ!

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Kedarnath Agarwal