कविता
प्रकृति चित्र – केदारनाथ अग्रवाल की कविता
Published by
Kedarnath Agarwal
जिसने सोने को खोदा,
लोहा मोड़ा है
जो रवि के रथ का
घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
प्रकृति चित्र
698
Next
मात देना नहीं जानतीं »
Previous
« मार्क्सवाद की रोशनी - केदारनाथ अग्रवाल की कविता
Leave a Comment
Published by
Kedarnath Agarwal
Recent Posts
कहानी
ज़िंदगी का राज़ – उपेन्द्रनाथ अश्क की कहानी
कहानी
मोहब्बत – उपेन्द्रनाथ अश्क की कहानी
कहानी
उबाल – उपेन्द्रनाथ अश्क की कहानी
कहानी
ये मर्द – उपेन्द्रनाथ अश्क की कहानी
नज़्म
बहार और मैं – वफ़ा बराही की नज़्म
नज़्म
कहारन – वफ़ा बराही की नज़्म
L