जैसे जेल में लालटेन चाँद उसी तरह एक पेड़ की नंगी डाल से झूलता हुआ और हम यानी पृथ्वी के सारे के सारे क़ैदी खुश कि चलो कुछ तो है जिसमें हम देख सकते हैं एक-दूसरे का चेहरा!