कविता

एक नये दिन के साथ

Published by
Kedarnath Singh

नये दिन के साथ
एक पन्ना खुल गया कोरा
हमारे प्यार का

सुबह,
इस पर कहीं अपना नाम तो लिख दो!

बहुत से मनहूस पन्नों में
इसे भी कहीँ रख दूंगा
और जब-जब हवा आकर
उड़ा जायेगी अचानक बन्द पन्नों को
कहीं भीतर
मोरपंखी का तरह रक्खे हुए उस नाम को
हर बार पढ़ लूंगा।

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Kedarnath Singh