कविता

नमकहराम – कुमार अंबुज की कविता

Published by
Kumar Ambuj

जिस थाली में खाता है उसी को मारता है ठोकर
जिस घर में रहता है उसी में लगाता है सेन्ध

तुम याद करो,
तुमने उसकी थाली में वर्षों तक कितना कम खाना दिया
याद करो, तुमने उसे घर में उतनी जगह भी नहीं दी
जितनी तिलचट्टे, चूहे, छिपकलियाँ या कुत्ते घेर लेते हैं।

नमकहराम

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Kumar Ambuj