Categories: ग़ज़ल

बैठा हूँ पाँव तोड़ के तदबीर देखना

Published by
Yagana Changezi

बैठा हूँ पाँव तोड़ के तदबीर देखना
मंज़िल क़दम से लिपटी है तक़दीर देखना

आवाज़े मुझ पे कसते हैं फिर बंदगान-ए-इश्क़
पड़ जाए फिर न पाँव में ज़ंजीर देखना

मुर्दों से शर्त बाँध के सोई है अपनी मौत
हाँ देखना ज़रा फ़लक-ए-पीर देखना

होश उड़ न जाएँ सनअत-ए-बेहज़ाद देख कर
आईना रख के सामने तस्वीर देखना

परवाने कर चुके थे सर-अंजाम ख़ुद-कुशी
फ़ानूस आड़े आ गया तक़दीर देखना

शायद ख़ुदा-न-ख़ास्ता आँखें दग़ा करें
अच्छा नहीं नविश्ता-ए-तक़दीर देखना

बाद-ए-मुराद चल चुकी लंगर उठाओ ‘यास’
फिर आगे बढ़ के ख़ूबी-ए-तक़दीर देखना

Published by
Yagana Changezi