Categories: कविता

फ़र्क़ – अंजना टंडन की कविता

Published by
Anjana Tandon

तुम्हें पंसद थी आज़ादी और मुझे स्थिरता
तुम्हें विस्तार, मुझे सिमटना

तुम
अंतरिक्ष में, हवाओं में
मैदानों में, पहाड़ों पर
कविता लिखते रहे

मैं
नयनों पर, इश्क़ पर
मेहदीं पर, सिंदूर पर
भाग्य सराहती रही

तुम देहरी के बाहर हरापन उगाते रहे
मैं आँगन के पेड़ों को पहचानती रही

बातें आदत की थी या अधिकारों की
खूँटे हम दोनों के थे
फ़र्क़ सिर्फ़ रस्सी की लम्बाई में थे!

Published by
Anjana Tandon