Categories: कविता

एक पन्ना और बस मैं

Published by
Anuradha Ananya

मैंने सारे क्षोभ को बटोरा
और कलम उठाई
फिर अपने सारे दुखों को ,निराशा को, थकान को
शब्दों मे पिरो कर कागज़ पर रसीद कर दिया
जैसे पूरा मन खाली हो गया हो कोरे कागज़ पर
राहत बुनती चली गई एक-एक हर्फ़ के साथ-साथ
अपने लिए
पूरा मन खाली हो गया
लबालब भरा हुआ था प्यार से, धोखे से, निराशा से, थकान से, दुख से, आस से
खाली हो गया एक काग़ज़ पर
दिमाग परत-दर-परत खुलता चला गया
केंचुली सी उतरती गई सारी परतें
परतों में छिपा एक गाना, एक कहानी, एक रहस्य, एक याद, एक धोखा, प्यार,
कुछ योजनाएं, कुछ दृश्य, कुछ शब्द और एक कलम भाषा के रूप में उतरते गए
उधड़ता गया लबालब भरा हुआ मन और परत-दर-परत दिमाग एक ही पन्ने पर
एक नींद कमाऊंगी अब
अपने आलिंगन से ही
खुद को सुनाते हुए लोरी
बुनूँगी एक सपना, एक गाना, एक कहानी, एक याद, एक अहसास, प्यार,
ढेरों इच्छाएं, योजनाएं, कुछ शब्द, एक पन्ना, एक क़लम और बस एक मैं..

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Anuradha Ananya