शेर

फ़हमी बदायूनी के चुनिंदा शेर

Published by
Fahmi Badayuni

पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा
कितना आसान था इलाज मिरा


मैं ने उस की तरफ़ से ख़त लिक्खा
और अपने पते पे भेज दिया


परेशाँ है वो झूटा इश्क़ कर के
वफ़ा करने की नौबत आ गई है


ख़ुशी से काँप रही थीं ये उँगलियाँ इतनी
डिलीट हो गया इक शख़्स सेव करने में


ख़ूँ पिला कर जो शेर पाला था
उस ने सर्कस में नौकरी कर ली


जब तलक क़ुव्वत-ए-तख़य्युल है
आप पहलू से उठ नहीं सकते


उसे ले कर जो गाड़ी जा चुकी है
मैं शायद उस के नीचे आ रहा हूँ


आप तशरीफ़ लाए थे इक रोज़
दूसरे रोज़ ए’तिबार हुआ


बदन का ज़िक्र बातिल है तो आओ
बिना सर पैर की बातें करेंगे


आज पैवंद की ज़रूरत है
ये सज़ा है रफ़ू न करने की


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Fahmi Badayuni