loader image

शाम तक बंद रहता है कमरा मिरा

शाम तक बंद रहता है कमरा मिरा
और कमरे में तन्हा खिलौना मिरा

दिन को उजली रिदा ओढ़ लेता हूँ मैं
देखना रात को फिर तमाशा मिरा

सच कहा था सभी मुझ से नाराज़ हैं
अब किसी से नहीं रिश्ता-नाता मिरा

अपने शे’रों पे मुझ को बड़ा फ़ख़्र है
जाने क्या गुल खिलाएगा चर्चा मिरा

दो बरस का हूँ तिफ़्ल-ए-किताबी ‘ग़नी’
हो गया कितना भारी है बस्ता मिरा

Add Comment

By: Ghani Ghayoor

© 2023 पोथी | सर्वाधिकार सुरक्षित

Do not copy, Please support by sharing!