शेर

महेंद्र प्रताप चाँद के चुनिंदा शेर

Published by
Mahendra Pratap Chand

उसी ने आग लगाई है सारी बस्ती में
वही ये पूछ रहा है कि माजरा क्या है


आपसी रिश्तों की ख़ुशबू को कोई नाम न दो
इस तक़द्दुस को न काग़ज़ पर उतारा जाए


पराए दर्द में होता नहीं शरीक कोई
ग़मों के बोझ को ख़ुद आप ढोना पड़ता है


मात-पिता को दे बन-वास
ख़ुद को आज्ञाकारी लिख


महेंद्र प्रताप चाँद के शेर


954
Published by
Mahendra Pratap Chand