हँसी थमी है इन आँखों में यूँ नमी की तरह
चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह
आबला-पा कोई इस दश्त में आया होगा
वर्ना आँधी में दिया किस ने जलाया होगा
आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता
अयादत को आए शिफ़ा हो गई
मिरी रूह तन से जुदा हो गई
चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा
दिल मिला है कहाँ कहाँ तन्हा
ये न सोचो कल क्या हो
कौन कहे इस पल क्या हो
कहीं कहीं कोई तारा कहीं कहीं जुगनू
जो मेरी रात थी वो आप का सवेरा है
अयादत होती जाती है इबादत होती जाती है
मिरे मरने की देखो सब को आदत होती जाती है
तेरे क़दमों की आहट को ये दिल है ढूँडता हर दम
हर इक आवाज़ पर इक थरथराहट होती जाती है
यूँ तेरी रहगुज़र से दीवाना-वार गुज़रे
काँधे पे अपने रख के अपना मज़ार गुज़रे