आँखों को देखते ही बोले
बिन पिए कोई मदहोश आया
जब चाहा इक़रार किया है जब चाहा इंकार किया
देखो हम ने ख़ुद ही से ये कैसा अनोखा प्यार किया
दिल तोड़ दिया उस ने ये कह के निगाहों से
पत्थर से जो टकराए वो जाम नहीं होता
शम्अ’ हूँ फूल हूँ या रेत पे क़दमों का निशाँ
आप को हक़ है मुझे जो भी जी चाहे कह लें
मीना कुमारी नाज़ के चुनिंदा शेर
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