शेर

शकील बदायुनी के चुनिंदा शेर

Published by
Shakeel Badayuni

वो हम से दूर होते जा रहे हैं
बहुत मग़रूर होते जा रहे हैं


रहमतों से निबाह में गुज़री
उम्र सारी गुनाह में गुज़री


मुझे आ गया यक़ीं सा कि यही है मेरी मंज़िल
सर-ए-राह जब किसी ने मुझे दफ़अतन पुकारा


वो हवा दे रहे हैं दामन की
हाए किस वक़्त नींद आई है


जीने वाले क़ज़ा से डरते हैं
ज़हर पी कर दवा से डरते हैं


खुल गया उन की आरज़ू में ये राज़
ज़ीस्त अपनी नहीं पराई है


आप जो कुछ कहें हमें मंज़ूर
नेक बंदे ख़ुदा से डरते हैं


अपनों ने नज़र फेरी तो दिल तू ने दिया साथ
दुनिया में कोई दोस्त मिरे काम तो आया


दुनिया की रिवायात से बेगाना नहीं हूँ
छेड़ो न मुझे मैं कोई दीवाना नहीं हूँ


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Shakeel Badayuni