ग़रीबी एक ख़ुली हुई क़िताब जो हर समझदार और मूर्ख के हाथ में दे दी गई है। कुछ उसे पढ़ते हैं कुछ उसके चित्र देख उलट-पुलट रख देते नीचे ’शो-केस’ के।