loader image

ग़रीबी – धूमिल की कविता

ग़रीबी
एक ख़ुली हुई क़िताब
जो हर समझदार
और मूर्ख के हाथ में दे दी गई है।
कुछ उसे पढ़ते हैं
कुछ उसके चित्र देख
उलट-पुलट रख देते
नीचे ’शो-केस’ के।

2

Add Comment

By: Sudama Pandya 'Dhumil'

© 2023 पोथी | सर्वाधिकार सुरक्षित

Do not copy, Please support by sharing!