नज़्म

चाँद में परियाँ रहती हैं

Published by
Afsar Merathi

अम्माँ बाजी कहती हैं
चाँद में परियाँ रहती हैं
रात को पर फैलाती हैं
और उतर कर आती हैं
सब बच्चों को सुलाती हैं
और फिर ख़्वाब दिखाती हैं
अम्माँ बाजी कहती हैं
चाँद में परियाँ रहती हैं
मैं तो आज न सोऊँगा
रात गए तक जागूँगा
बाहर बाग़ में बैठूँगा
चाँद की परियाँ देखूँगा
अम्माँ बाजी कहती हैं
चाँद में परियाँ रहती हैं

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Afsar Merathi