अम्माँ बाजी कहती हैं
चाँद में परियाँ रहती हैं
रात को पर फैलाती हैं
और उतर कर आती हैं
सब बच्चों को सुलाती हैं
और फिर ख़्वाब दिखाती हैं
अम्माँ बाजी कहती हैं
चाँद में परियाँ रहती हैं
मैं तो आज न सोऊँगा
रात गए तक जागूँगा
बाहर बाग़ में बैठूँगा
चाँद की परियाँ देखूँगा
अम्माँ बाजी कहती हैं
चाँद में परियाँ रहती हैं