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वतन का राग – अफ़सर मेरठी की नज़्म

भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है
हर रुत हर इक मौसम इस का कैसा प्यारा प्यारा है
कैसा सुहाना कैसा सुंदर प्यारा देस हमारा है
दुख में सुख में हर हालत में भारत दिल का सहारा है
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है

सारे जग के पहाड़ों में बे-मिस्ल पहाड़ हिमाला है
पर्बत सब से ऊँचा है ये पर्बत सब से निराला है
भारत की रक्षा करता है भारत का रखवाला है
लाखों चश्मे बहते हैं इस में लाखों नदियों वाला है
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है

गंगा-जी की प्यारी लहरें गीत सुनाती जाती हैं
सदियों की तहज़ीब हमारी याद दिलाती जाती हैं
भारत की गुलज़ारों को सरसब्ज़ बनाती जाती हैं
खेतों को हरियाली देती फूल खिलाती जाती हैं
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है

हरे-भरे हैं खेत हमारे दुनिया को अन देते हैं
चाँदी सोने की कानों से हम जग को धन देते हैं
प्रेम के प्यारे फूल की ख़ुशबू गुलशन गुलशन देते हैं
अम्न-ओ-अमाँ की ने’मत सब को भर भर दामन देते हैं
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है

‘कृष्ण’ की बंसी ने फूंकी है रूह हमारी जानों में
‘गौतम’ की आवाज़ बसी है महलों में मैदानों में
‘चिश्ती’ ने जो दी थी मय वो अब तक है पैमानों में
‘नानक’ की तालीम अभी तक गूँज रही है कानों में
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है

मज़हब कुछ हो हिन्दी हैं हम सारे भाई भाई हैं
हिन्दू हैं या मुस्लिम हैं या सिख हैं या ईसाई हैं
प्रेम ने सब को एक किया है प्रेम के हम शैदाई हैं
भारत नाम के आशिक़ हैं हम भारत के सौदाई हैं
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है

वतन का राग

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By: Afsar Merathi

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