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दुनिया में जन्नत – अफ़सर मेरठी की नज़्म

बाग़ों ने पहना
फूलों का गहना
नहरों का बहना
वारफ़्ता रहना
दुनिया में जन्नत मेरा वतन है
भूरी घटाएँ
लाएँ हवाएँ
बाग़ों में जाएँ
कलियाँ खिलाएँ
दुनिया में जन्नत मेरा वतन है
इक झोंपड़ी है
सब कुछ यही है
क्या सादगी है
क्या ज़िंदगी है
दुनिया में जन्नत मेरा वतन है
‘कृष्ण’ कनहैया
राधा का रसिया
बच्चों के ‘अफ़सर’
था इस ज़मीं का
रौशन सितारा
दुनिया में जन्नत मेरा वतन है
वो तुर्क आए
भारत पे छाए
झंडे उड़ाए
क़ुरआन लाए
दुनिया में जन्नत मेरा वतन है
चिश्ती ने बख़्शा
दिल को सहारा
हमदर्द ऐसा
किस को मिला था
दुनिया में जन्नत मेरा वतन है
गौतम का घर है
जन्नत का दर है
‘अफ़सर’ किधर है
क्या बे-ख़बर है
दुनिया में जन्नत मेरा वतन है

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By: Afsar Merathi

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