आओ ख़ुश हो के पियो कुछ न कहो वाइज़ कोमय-कदे में वो तमाशाई है कुछ और नहीं
दिल न का’बा है ने कलीसा हैतेरा घर है हरीम-ए-मरियम है
क्यूँ हुआ मुझ को इनायत की नज़र का सौदाआज रुस्वाई ही रुस्वाई है कुछ और नहीं
अंजुम आज़मी के चुनिंदा शेर
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