पलकों के सितारे भी उड़ा ले गई ‘अनवर’
वो दर्द की आँधी की सर-ए-शाम चली थी
इस वक़्त वहाँ कौन धुआँ देखने जाए
अख़बार में पढ़ लेंगे कहाँ आग लगी थी
दिल सुलगता है तिरे सर्द रवय्ये से मिरा
देख अब बर्फ़ ने क्या आग लगा रक्खी है
आसमाँ अपने इरादों में मगन है लेकिन
आदमी अपने ख़यालात लिए फिरता है
उर्दू से हो क्यूँ बेज़ार इंग्लिश से क्यूँ इतना प्यार
छोड़ो भी ये रट्टा यार ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार
सिर्फ़ मेहनत क्या है ‘अनवर’ कामयाबी के लिए
कोई ऊपर से भी टेलीफ़ोन होना चाहिए
आइना देख ज़रा क्या मैं ग़लत कहता हूँ
तू ने ख़ुद से भी कोई बात छुपा रक्खी है
मैं ने ‘अनवर’ इस लिए बाँधी कलाई पर घड़ी
वक़्त पूछेंगे कई मज़दूर भी रस्ते के बीच
हाँ मुझे उर्दू है पंजाबी से भी बढ़ कर अज़ीज़
शुक्र है ‘अनवर’ मिरी सोचें इलाक़ाई नहीं
जो हँसना हँसाना होता है
रोने को छुपाना होता है